सोमवार, 30 अगस्त 2010

चाहे जितने निजी विवि आ जाएं एचपीयू को कोई फर्क नहीं पड़ता

प्रदेश में निजी यूनिवर्सिटी को सरकार द्वारा धड़ाधड़ दी जा रही अनुमति जैसे प्रश्न को नो कमेंट कह कर टालने में तत्परता दिखाने वाले हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील कुमार गुप्ता आत्मविश्वास के साथ कहते हैं, ऐसी यूनिवर्सिटियां चाहे जितनी खुल जाएं हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। 40 वर्ष पूर्व स्थापित इस विश्वविद्यालय का कालाकल्प बीते तीन वर्ष में ही तेजी से हुआ है। यह दावा करने वाले प्रो. गुप्ता बजट में वृद्धि, नए कोर्स, भवन निर्माण आदि कारण भी गिनाते हैं। वे बिना लागलपेट के स्वीकारते हैं कि यदि छात्र चंडीगढ़, दिल्ली बैंगलुरु जाना पसंद कर रहे हैं तो इसका कारण कॉलेजों में छात्रों को बहुमुखी विकास के लिए मंच उपलब्ध नहीं कराना है। निजी कॉलेजों में मनमानी फीस सहित अन्य धांधलियों पर रोक के लिए मॉनिटिरिंग कमेटी का गठन सही कदम बताते हैं।
-प्रो. सुनील कुमार गुप्ता, कुलपति हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील कुमार गुप्ता का दावा है कि प्रदेश में चाहे जितनी प्राइवेट यूनिवर्सिटी आ जाएं हमारे विश्वविद्यालय की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि हमारे विवि के प्रति जो विश्वास है शैक्षणिक गुणवत्ता और सस्ती सुलभ शिक्षा है उसका निजी विश्वविद्यालय मुकाबला नहीं कर सकते। मंडे मुलाकात के दौरान जब कुलपति से पूछा गया कि देश में हिमाचल ऐसा राज्य है जहां सर्वाधिक निजी विश्वविद्याालय है। आखिल ऐसा क्या है हिमाचल में ? लगभग सारे ही छात्र संगठन प्राइवेट यूनिवर्सिटी की बढ़ती संख्या को शिक्षा का निजीकरण बताकर विरोध भी कर रहे हैं।
आप कारण बताएंगे ऐसा क्यों हो रहा है?
निजी विवि को अनुमति और शिक्षा के निजीकरण के संबंध में बार-बार कुरेदे जाने के बाद भी कुलपति ने नो कमेंट से ज्यादा कुछ नहीं कहा। लेकिन यह जरूर कहा कि इन विवि की ओर छात्र तभी रुख
करते हैं जब हमारे विवि और सेंट्रल यूनिवर्सिटी या संबंद्ध कालेजों में एडमिशन नहीं मिल पाता। हमारे यहां सबसे अधिक राहत की बात है फी स्ट्रक्चर कम होना। हालात यह है कि 60 सीट के लिए 6 हजार तक आवेदन आते हैं। चाहे जितनी यूनिवर्सिटी आ जाएं हम आगे हैं और आगे ही बढ़ते रहेंगे।
ऐसे तमाम दावों के बाद भी यहां के स्टूडेंट चंडीगढ़, दिल्ली, बैंगलुरू की ओर क्यों रुख करते हैं?
मुझे जो इस मामले में सबसे बड़ी कमी नजर आती है बच्चों को सभी क्षेत्रों में कॉलेजों में पर्याप्त एक्सपोजर नहीं मिलता। वो भले ही 95 फीसदी मार्क लाने वाला ही क्यों न हो, कल्चरल स्पोट्र्स एक्टिविटी, उसे बोलने की क्षमता के विकास का मंच भी उपलब्ध कराना जरूरी है। मुझे कॉलेजों में यह कमी नजर आती है, विवि स्तर पर तो छात्रों को मंच उपलब्ध करा रहे हैं।
क्या ऐसे छात्रों को विवि अतिरिक्त प्रोत्साहन दे रहा है?
हां, फीस माफी, स्कॉलरशिप भत्ते में वृद्धि के साथ ही उन्हें नकद राशि से पुरस्कृत किए जाने पर भी विचार किया जा रहा है। उन छात्रों को यह राशि दी जाएगी जो हिमाचल विवि का विभिन्न क्षेत्रों में देश में मान बढ़ाएंगे।
दीक्षांत समारोह की स्थिति क्या है?
विवि स्थापना के चालीस वर्षों में कुल 17 समारोह हुए हैं जिनमें 16वां, 17वां मेरे कार्यकाल में हुआ अब 18 वां नवंबर में करवाएंगे जिसमें इसी साल पढ़ाई पूरी कर चुके छात्र शामिल होंगे।
विवि में प्लेसमेंट की स्थिति क्या है?
आईटी सहित अन्य प्रोफेशनल कोर्सेस में शत प्रतिशत प्लेसमेंट की स्थिति है। विभिन्न विभागों में विभागीय स्तर पर प्लेसमेंट ऑफिसर के रूप में ऐसे सक्षम व्यक्ति की नियुक्ति कर रहे हैं जिसकी देश की प्रमुख कंपनियों से सीधे ताल्लुकात हों।
फिर भी विवि से संबद्ध होस्टलों की हालत तो गई गुजरी है, कमरों व टॉयलेट की स्थिति जर्जर है।
जी नहीं, इन दो वर्षों में छात्रावासों की हालत बदल गई है। आर्टस, लॉ, आदि के छात्रावासों की मरम्मत, रंगरोगन, टॉयलेट निर्माण कराया गया है।
पीने के पानी का संकट कहां दूर हुआ?
यह भी सही नहीं है। पिछले 38 वर्षों में वीसी कार्यालय सहित कहीं भी एक्वागार्ड तक नहीं थे। मेरे आफिस तक में नहीं था, अब सब जगह यह सुविधा है।
स्टाफ क्वॉर्टर का संकट दूर हुआ क्या, कुछ बजट भी बढ़ा या नहीं?
टीचिंग स्टाफ के लिए दो टीचर्स क्वॉर्टर के साथ ही नॉन टीचिंग स्टाफ आवास के लिए भी राज्य सरकार से एक करोड़ रुपया लिया है। यूूजीसी से भी मदद मिल रही है। जहां तक वीवी बजट का सवाल है तो दो वर्ष पहले तक 30 करोड़ था अब यह बजट 50 करोड़ किया गया है। जिस दिन सरकार अपने कर्मचारियों को डीए आदि लाभ की घोषणा करती है उसके दूसरे दिन विवि में भी जारी कर देते हैं।
रिक्त पदों के कारण भी तो संकट है, कुल कितने पदों को भरा जाना है?
टीचिंग स्टाफ में 182 पद रिक्त हैं इनमें से करीब 35 पदों को पहले भरा जाना है, 19 सितंबर से रिक्रूटमेंट शुरु करेंगे। खाली पदों के कारण फिलहाल 36 गेस्ट फेकल्टी का सहयोग ले रहे हैं। नॉन टीचिंग में 23 पद भरे जाने हैं इनके लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है।
ऐसा लगता है कि विवि का काम कंस्ट्रक्शन करवाना हो गया है, जहां देखो वहीं धड़ल्ले से भवन निर्माण जारी है?
हमारा काम तो एजुकेशन देना ही है लेकिन मेरा यह मानना है कि कोई भी नया कोर्स बिना भवन, संसाधन के अभाव में शुरु करना ठीक नहीं। ऐसा करने लगे तो आप सब मीडिया वाले ही कहेंगे फीस वसूली के बाद भी सुविधा नहीं दी जा रही। जो कंस्ट्रक्शन चल रहा है आवश्यक स्वीकृति और नए कोर्सों के लिए भवनों की जरूरत के मुताबिक ही चल रहा है। अभी शेड्स में चल रहे ज्योग्राफी, जर्नलिज्म, भोटी डिपार्टमेंट के लिए साथ ही एमबीए और टूरिज्म की नई बिल्डिंग का काम जारी है। एग्जामिनेशन डिपार्टमेंट के लिए पृथक से भवन निर्माण किया जा चुका है।
विवि का फोकस किस तरह के कोर्स पर रहता है?
गत 10 वर्षों में जितने भी विभाग खुले हैं, उन सब की यह डिमांड रही है कि विवि ऐसे कोर्स संचालित करे जो छात्रों को रोजगार भी उपलब्ध कराए। हमने एमबीए, बीबीए, बीसीए शुरू करने के साथ लॉ में पांच वर्षीय कोर्स शुरु किया है। आईटी बिल्डिंग इस वर्ष अंत तक पूर्ण हो जाएगी तब इंजीनियरिंग की दो ब्रांचें सिविल और मेकेनिकल अगले सत्र से शुरू कर देंगे। बीटेक (बायोटेक) के लिए सरकार ने एक करोड़ रुपया उपलब्ध कराया है। यह कोर्स भी अगले सत्र से शुरू कर देंगे।
निजी कॉलेजों द्वारा वसूली जा रही मनमानी फीस सहित अन्य अनियमितताओं पर अंकुश लगाने में सख्ती नजर
नहीं आती।
प्रावइेट कॉलेजों की मानिटरिंग के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई है। यह समिति इन कॉलेजों का आकस्मिक अवलोकन करेगी। पाई जाने वाली कमियां दो माह में दूर करने की मोहलत देंगे। प्रथम तीन माह में कमियां दूर न की तो 50 हजार रुपए जुर्माना किया जाएगा, छह माह में भी कमियां दूर नहीं की, निर्धारित से अधिक फीस वसूली की शिकायत सही पाई गई तो कॉलेज की संबंद्धता खत्म कर देंगे। बिना पर्याप्त टीचर, सुविधाएं और भवन के अभाव में कालेज का संचालन अब संभव नहीं। बीएड की फीस रुपए 39 हजार 500 लेकिन निजी कालेज 50 हजार तक फीस ले रहे हैं। कमेटी को इस तरह की मनमानी वाली शिकायतें सप्रमाण कर सकते हैं।
रीजनल सेंटर धर्मशाला में भी तो पद रिक्त हैं फिर निजी कॉलेजों पर कार्रवाई क्यों?
हमारे यहां जो पद रिक्त हैं वहां गेस्ट फेकल्टी से सहयोग ले रहे हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पहले भर रहे हैं इससे पीजी, धर्मशाला और इवनिंग कॉलेज में प्रोफेसर का संकट समाप्त हो जाएगा।
बजट के अलावा अन्य योजनाओं में भी पैसा मिला है।
इन दो वर्षों में मैथेमेटिक्स, फिजिक्स, केमेस्ट्री डिपार्टमेंट में सेप लागू किया है। इस मद में प्रति डिपार्टमेंट यूजीसी से एक करोड़ रुपए की ग्रांट मिली है। चार अन्य डिपार्टमेंट लॉ, कामर्स, पोलिटिकल साइंस और बायोटेक में सेप प्रस्तावित है। साईंस रिसर्च के लिए दिल्ली, चंडीगढ़ जाने वाले छात्रों के लिए यूसिका को स्थापित किया है। 4 करोड़ की लागत से स्थापित इन मशीनों के बाद फिजिक्स, केमेस्ट्री के रिसर्च स्कालर की समस्या दूर हुई है। मानव संसाधन मंत्रालय ने इंटरनेट संबंधी सुविधाओं के विस्तार के लिए ढाई करोड़ रुपया दिया है। हम होस्टल तक छात्रों को वाईफाई सुविधा देने वाले हैं।
विश्वविद्यालय को प्रोस्पेक्टस और स्टडी मेटेरियल में सुधार की भी चिंता है या नहीं?
हमारी कोशिश है कि सारे प्रोस्पेक्टस ऑनलाइन कर दिए जाएं और करस्पांडेंस भी आनलाइन हो। एमटेक के प्रोस्पेक्टस को ऑनलाइन करने के साथ शुरूआत कर दी है जितने करस्पांडेंस कोर्स हैं उसका स्टडी मेटेरियल भी ऑन लाइन करना चाहते हैं। जिस दिन छात्र करस्पांडेंस कोर्स के लिए अप्लाय करें उसे एडमिशन के साथ स्टडी मेटेरियल भी उपलब्ध हो जाए। विवि के दिल्ली में नोएडा स्थित सेंटर पर इस सुविधा को शुरू कर दिया है।
विश्वविद्यालय तब से अब तक
चालीस साल पहले 22 जुलाई 1970 को गठन हुआ हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय तब केवल 8 विभाग थे अब 12 फैक्लटीज है, इनमें से 9 तो विवि में ही है अन्य तीन विवि के बाहर एक रीजनल सेंटर धर्मशाला में, एक इवनिंग कॉलेज शिमला में इसके साथ बिजनेस स्टडीज, लीगल स्टडीज, इंफरमेशन टेक्नोलॉजी स्कूल के साथ ही 26 विभाग, सांइस, वाणिज्य, प्रबंधन संस्थान, सोशल सांइसेस, लॉ डिपार्टमेंट के साथ अंतरराष्ट्रीय दूरवर्ती शिक्षा केंद्र। स्थापना के वक्त कैंपस में छात्रों की संख्या थी करीब 150 इस वक्त संख्या में 4 हजार के करीब। रीजनल सेंटर धर्मशाला के 8 विभागों में करीब 600 छात्र, इवनिंग कॉलेज शिमला में 1300 छात्र, डीसीसी में ही 23 हजार छात्र हैं। पूरे वर्ष में करीब 10 लाख छात्रों के एग्जाम संपन कराता है एचपीयू
कॉलेज जो संबंद्ध हैं
विश्व विद्यालय से 1976 में 15 कॉलेज संबंद्ध थे अब संस्था के 294 शासकीय डिग्री कॉलेजों की संख्या है इसमें शासकीय कॉलेज हैं बाकी निजी कॉलेज हैं जिनमें ज्यादातर में प्रोफेशनल कोर्सेस संचालित किए जा रहे हैं।

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