सोमवार, 30 अगस्त 2010

अपना वीजन डॉक्यूमेंट बना रहा है एचपीयू

यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर हिमाचल के गांवों पर शोध कर रहा स्वीडन नेट की एग्जाम पास करने वाले वाले स्टूडेंट के मामले में एचपीयू का दूसरा नंबर
-कीर्ति राणा. शिमला
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के साथ मिलकर स्वीडन की उपसला यूनिवर्सिटी हिमाचल के ऐतिहासिक गांव मलाना और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में बसे आदिवासियों की भाषा तथा उनके द्वारा रोजमर्रा के जीवन में उपयोग में लाई जाने वाली जड़ी—बूटियों पर शोध किया जा रहा है। इस शोध के परिणामों से हिमाचल को तो विश्व स्तर पर ख्याति मिलेगी ही प्रदेश के सांस्कृतिक विकास में हिमाचल प्रदेश विवि की भागीदारी भी रेखांकित की जाएगी। मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की सलाह पर विवि ने वीजन डॉक्यूमेंट पर भी काम शुरू कर दिया है। इस डॉक्यूमेंट में विवि के विस्तार, भविष्य की योजनाओं, जरूरतों पर फोकस रहेगा।
भास्कर से मंडे मुलाकात में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील कुमार गुप्ता ने विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध कालेजों में छात्रसंघ चुनाव शांति से निपट जाने पर राहत की सांस ली है। उन्होंने माना शुरुआत में झगड़े फसाद हुए लेकिन बाद में छात्र संगठनों और विवि प्रशासन में संवाद और विश्वास कायम होने पर स्थिति संभल गई। उन्होंने प्रशासन के सहयोग की भी सराहना की। कुलपति ने कहा कि अक्टूबर तक स्टूडेंट कौंसिल के चुनाव भी करा लेंगे। विवि में टीचिंग, नान टीचिंग स्टाफ के रिक्त पदों को भरे जाने की प्रक्रिया भी सितंबर से शुरू हो रही है।
स्वीडन के साथ मिल कर किए जा रहे दोनों शोध तीन वर्ष में पूरे हो जाएंगे। इस शोध से शताब्दियों पुराने मलाना गांव की सभ्यता, संस्कृति, उसके ऐतिहासिक महत्व संबंधी प्रामाणिक तथ्य सामने आएंगे। इसी तरह आदिवासी अंचलों में बोली जाने वाली भाषा और स्पेनिश लेंग्वेज में समानता, जड़ीबूटियों के उपयोग आदि से इन तथ्यों का खुलासा होगा कि हिमाचल की सांस्कृतिक विरासत कितनी पुरानी है तथा अन्य देशों से यह किस तरह मिलती जुलती है।
देश के 504 विश्वविद्यालयों के संदर्भ में एक पत्रिका द्वारा कराए गए सर्वे में न सिर्फ हिमाचल विवि को 31वीं रैंक मिली है। वरन एकेडमिक, फैकल्टी, रिसर्च, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि सभी श्रेणियों में 31वीं रैंक है। यूजीसी की ओर प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली नेट एग्जाम में तीन साल पहले एचपीयू चौथे, फिर तीसरे और अब नेट की एग्जाम पास करने वाले छात्रों की संख्या के मामले में हिमाचल देश में दूसरे क्रम पर है। यूजीसी के जो 12 सेंटर पूरे देश में हैं उनमें से एक सेंटर फ ार एक्सीलेंस तो हमारे यहां है ही अब सेंटर फॉर पोटेंशियल एक्सीलेंस के लिए भी यूजीसी से अनुरोध किया है। यह सेंटर भी मिलना तय है।
समय पर रिज्लट घोषित करने संबंधी घोषणा पूरी न क र पाने को स्वीकारने के साथ ही कुलपति ने कारण गिनाते हुए कहा कि कंप्यूटरों की कमी, कापियां जांचने के लिए निर्धारित नियमों का टीचर्स की ओर से पूर्णतया पालन नहीं करना, कालेजों ने अवार्ड भेजे तो सही लेकिन उनमें गलतियां छोडऩा, टेक्निकल स्टाफ को समय रहते प्रशिक्षण न दे पाना जैसे कारण रहे। इन सारी कमियों से सबक भी मिला। अब समय पर रिजल्ट घोषित करने के लिए एग्जाम कैलेंडर तैयार कर लिया है। साथ ही ऐसी खामियां फिर से न होगी यह विश्वास है।

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